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Showing posts from November, 2023

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तेरे संग दो पल रहने को तरसता हूँ माँ अकेला पाकर मैं रात भर बरसता हूँ माँ तेरी आँखों से भी आसु बहते होंगे तेरी हर दर्द को बयां करते होंगे नींद नही आती मुझको अब तेरे बिन गुज़ारना मुश्किल हो गया है एक - एक दिन एक तू ही है जिससे अपना दर्द बांट लेता हूँ मुझे पता है आज भी तेरा लाड़ला बेटा हूँ  मुझे ख़ुद भी पता नहीं कहा हूँ माँ पर अबकी छुट्टी में आ रहा हूँ माँ 

16.माँ ने मुझे बुलाया है

 *माँ ने मुझे बुलाया है* बड़े दिनों बाद, आज गाँव से फ़ोन आया है। छठी माई का आगमन हो रहा है, और माँ ने मुझे बुलाया है। कह रही थी कि दऊरा मुझे ही उठाना है, और छठ घाट तक पहुंँचाना है। समझ नहीं आता कैसे समझाऊँ माँ को? यहाँ तो छठ के दिन भी कॉलेज compulsory जाना है। मेरे माँ के लिए छठ पूजा केवल त्योहार ही नहीं, यह तो उसके लिए साल भर का इंतज़ार है। इंतज़ार इस बात की, कि मैं आऊँगा, और अपने माथ पर दऊरा उठाऊँगा। अपनी विडंबना कैसे समझाऊ मैं ? छठ की छुट्टी नहीं मिलती यहाँ, कैसे आऊँ मैं? पर माँ का दिल भी तो तोड़ना नहीं चाहता, क्या करूँ, कुछ समझ नहीं आता? बड़े दिनों बाद, आज गाँव से फ़ोन आया है, छठी माई का आगमन हो रहा है, और माँ ने मुझे बुलाया है। © नीरज यादव ( नयकाटोला भोपतपुर, मोतिहारी: बिहार)