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21.माई मोरी याद करत होइहें हो
अर्क के बेरी, माई मोरी, याद करते होइहें हो। अखियाँ से उनका लोरवा, झर-झर बहत होइहें हो। बचपन से रहें लगनी, माँ से हम दूर हो। जेहि भईनी सयान त, हो गईनी मजबूर हो। चाह के भी ना जा पवनी, अईसन भारी व्रत में, इंहवें से फ़ोटो डलनी, माई के याद करत में। अपना मनवा के बातवां केहूंओ से नाही कहत होइहें हो। हमरा नाही जाएला के, पिड़वा सहत होइहें हो। अर्क के बेरी, माई मोरी, याद करते होइहें हो। अखियाँ से उनका लोरवा, झर-झर बहत होइहें हो।
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