19. माँ, मैं आ नहीं पाया

तुने बनाई थी पकवान जो मेरे लिए,
माँ उसे मैं खा नहीं पाया।
किया था वादा तुझसे मिलने का,
माँ मगर मैं आ नहीं पाया।

तेरा मुझपर नाराज़ होना, सही है माँ,
लेकिन मेरी समस्याओं को भी भली-भांति जानती है,
मैं कैसे जुझ रहा हूँ दिन - रात,
यह तू भी मानती है।

गर यूं तू मुझसे नाराज़ रहेगी,
तो कैसे मैं जी पाऊंगा माँ।
जो दर्द को घुटकर पी रहा हूँ,
आखिर वह कैसे पपी पाऊंगा माँ।

तू मेरा प्रोत्साहन बढ़ा !
और देख, मैं क्या करता हूँ।
कैसे अपनी समस्याओं से,
मैं डट कर लड़ता हूँ।

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