20. ख़ुद को भुला चुकी है

रात को 11 बजने वाले हैं,

सबको खाना पड़ोस कर खिला चुकी है,

उसे यह भी याद नहीं कि उसने खाया कि नहीं,

मेरी माँ, ख़ुद को भुला चुकी है।


इतना भी अपनों से प्यार कौन करता है।

हमारी दुःख - तक्लीफ़ सब सुनती है।

और जब स्वयं की बारी आती है तो,

तो इतना भी मौन कौन रहता है।


उसकी दर्द सुनकर हमें दर्द न हो जाए 

इसलिए वह कुछ बतलाती नहीं।

भले मैं मातृ-प्रेम पर किताबें क्यों ना लिख दूं,

लेकिन मुझसे ज़्यादा वो प्रेम करती है 

बस फ़र्क इतना है कि वो बतलाती नहीं।




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